कोई भी वेबसाइट बनाने के लिए एक Domain Name की जरूरत होती है। Domain Kya Hai और Domain कैसे काम करता है यह जान लेने से आपको Online Presence और Brand Identity बनाने में बहुत सहायता मिलती है।
इस आर्टिक्ल में हमने Domain Name in Hindi को समझाया है। आप इसे पढ़ने के बाद ना सिर्फ “डोमैन क्या है” अच्छे से हिन्दी में जान जाएंगे बल्कि Domain Name, Hosting और URL में क्या अंतर है यह भी समझ सकेंगे।
ब्लॉगिंग शुरू करने वाले Bloggers और Content Creators के लिए डोमेन नेम के बारे में जानकारी तो और भी जरूरी है। यहाँ आपको Domain means in Hindi, डोमेन कितने टाइप का होता है और डोमेन कहाँ से खरीदें जैसी सभी जानकारियाँ दी गईं हैं।
अगर आप domain और hosting में confuse है तो पहिले यह domain name का आर्टिकल पढ़ ले फिर Hosting क्या होती है यह भी पढ़ ले।
आइए जानते हैं कि डोमेन क्या है और कितने तरह का होता है।
Domain Kya Hai?
इंटरनेट पर पब्लिश होने वाली वेबसाइटों के Address को डोमेन नेम कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वेबसाइट का नाम ही Domain Name होता है। डोमेन नेम आपके ब्लॉग, वेबसाइट या ई-कॉमर्स की पहचान होता है।
जैसे Google.com या onlinepaisakaisekamaye.com दो अलग-अलग डोमेन हैं। डोमेन नेम को सिर्फ “डोमेन” भी कहा जाता है।


किसी भी डोमेन नेम में वेबसाइट का नाम और एक डोमेन नेम एक्सटेंशन होता है। सभी डोमेन नेम अलग-अलग होते हैं और किसी एक वैबसाइट का व नेम दूसरी वैबसाइट के डोमेन नेम से नहीं मिल सकता है।
आपकी साइट का डोमेन उसका Primary URL होता है और लोग आपकी साइट को ऑनलाइन खोजने के लिए उसका उपयोग करते हैं।
इंटरनेट से जुड़े कम्प्युटर या वेबसाइट के लिए एक IP address होता है जो Numbers में होता है। इन नंबरों को आसानी से याद नहीं किया जा सकता और ना ही ये पता चलता है कि वेबसाइट कौन सी सेवा प्रदान करती है। IP address को कम्प्युटर और सर्च इंजन तो आसानी से समझ सकते हैं लेकिन आदमियों के लिए इसे याद करना कठिन है।
ऐसी सभी समस्याओं को सुलझाने के लिए Domain Names का इस्तेमाल किया जाता है जो human-readable addresses होते हैं। यानि डोमेन क्या है पूछा जाए तो उत्तर होगा डोमेन एक वैबसाइट का पता है।
एक Domain Name में अक्षर, संख्याएं और हाइफ़न (letters, numbers, hyphens) हो सकते हैं। आप कोई भी डोमेन नेम खरीद सकते हैं बशर्ते वो उपलब्ध होना चाहिए।
अगर आपसे पहले किसी खास डोमेन नेम को कोई दूसरा व्यक्ति खरीद चुका है, तो आप उस डोमेन को दोबारा नहीं खरीद सकते। हाँ अगर वो व्यक्ति उस डोमेन को बेचना चाहे तो आप उसे खरीद सकते हैं। मतलब कि सभी Domain Name अलग या Unique होते हैं।
किसी भी डोमेन नेम को इस्तेमाल करने से पहले उसे रजिस्टर करना पड़ता है। दोस्तों डोमेन क्या है जानने के बाद आइए समझ लेते हैं कि डोमैन का काम क्या होता है।
Domain Kya Hai और कैसे काम करता है? How Domain Names Work?
अगर देखा जाए तो Domain Names जटिल IP addresses को याद रखने का एक शॉर्टकट होता है। अगर डोमेन नेम नहीं होते तो हमें अपने वेब ब्राउज़र में पूरे IP address को लिखना पड़ता।
जब आप अपने वेब ब्राउज़र में एक डोमेन नाम टाइप करते हैं, तो सबसे पहले Domain Name System (DNS- global network of servers) के पास आपकी request जाती है।
ये DNS सर्वर तब डोमेन से जुड़े Name Servers की तलाश करते हैं और उन नेम सर्वरों को आपकी भेजी गई request बता देते हैं। आपको बता दें कि ये नेम सर्वर आपकी होस्टिंग कंपनी द्वारा प्रबंधित कंप्यूटर होते हैं।
फिर आपकी होस्टिंग कंपनी आपकी Request को उस कंप्यूटर पर Forward करती है जहां आपकी वेबसाइट Stored होती है। आपकी साइट को स्टोर कर के रखने वाले कम्प्युटर को वेब सर्वर कहा जाता है।
वेब सर्वर अब वेब पेज और उससे जुड़ी जानकारी को Request भेजने वाले कम्प्युटर ब्राउज़र को भेज देता है।
डोमेन आपकी वेबसाइट या इंटरनेट पर आपकी पहचान बताने का काम करता है। ये ना सिर्फ आपका वेब Address होता है बल्कि एक Domain से यह भी पता चल जाता है कि किस तरह की सेवाएँ देते हैं।
डोमेन महत्वपूर्ण क्यों हैं-Why Domain is Important
इंटरनेट पर अगर आपको गूगल, Facebook या Youtube जैसी साइट खोलनी हो तो आप अपने वेब ब्राउज़र में उनका नाम और Domain Extension लिखते हैं और वेबसाइट खुल जाती है।
इसलिए domain name आपके साइट के Address की तरह होता है। इंटरनेट पर आपका डोमेन नाम आपकी विशिष्ट पहचान बताता है।
इंटरनेट पर प्रत्येक कंप्यूटर का एक इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) पता या IP Address होता है। अगर आपकी वेबसाइट का पता कुछ ऐसा हो 198.102.434.8 तो आप इसे आसानी से समझ नहीं सकते।
डोमेन नेम को बनाने के पीछे यही मकसद था कि लोग आसानी से किसी भी वेबसाइट के पते को याद रख सकें और उसे इस्तेमाल कर सकें।
डोमेन नेम महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि:
- आपका अपना Unique Domain Name, वेबसाइट और ईमेल Address होने से आपको और आपके बिज़नस को एक professional look मिलता है।
- एक डोमेन नेम रजिस्टर या पंजीकृत करने से आपको कॉपीराइट और ट्रेडमार्क की सुरक्षा, Credibility, ब्रांड जागरूकता बढ़ाना और अपनी सर्च इंजन रैंकिंग्स में फायदा मिलता है।
- कस्टम डोमेन नेम से आपकी Online Reputation बढ़ती है।
- एक डोमेन किसी वेबसाइट को इंटरनेट Users के लिए ज्यादा Accessible बनाने में मदद करता है।
- ब्रांडिंग और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) के लिए भी डोमेन जरूरी माना जाता है। यह सच है कि इंटरनेट पर लोग आपकी वेबसाइट को बिना आपके डोमेन नेम को जाने सर्च कर सकते हैं लेकिन Unique Domain Name साइट का एक महत्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा होता है।
- डोमेन नेम की सहायता से आप IP address का इस्तेमाल किए बिना वैबसाइट को आसानी से Access कर सकते हैं।
Domain Names कौन Manage करता है?
डोमेन नामों को डोमेन रजिस्ट्रियों (domain registries ) द्वारा Manage किया जाता है। ये अपने काम को registrars द्वारा करवाती हैं। कोई भी व्यक्ति जो वेबसाइट बनाना चाहता है, registrar से डोमेन नेम रजिस्टर करवा सकता है।
डोमेन कितने प्रकार के होते हैं? Types of Domain Name
अपनी वेबसाइट रजिस्टर करने से पहले आपको यह पता होना चाहिए कि अलग-अलग तरह के डोमेन कौन से होते हैं जिन्हे आप रजिस्टर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए .com, .net, .gov, edu, .org, जैसे डोमेन के suffix के बारे में अपने जरूर सुना होगा।
अब तक आप समझ गए हैं कि डोमेन क्या है और डोमेन क्यों महत्वपूर्ण होते हैं। आइए अब हिन्दी में जानते हैं कि डोमेन कितने तरह के होते हैं।
डोमेन के प्रकार-Types Of Domain Names in Hindi
यूं तो सबसे ज्यादा common extension .com है लेकिन रजिस्टर करने के लिए अलग-अलग प्रकार के डोमेन उपलब्ध हैं:
1. Top-Level Domains (TLDs)
डोमेन नेम के अंतिम भाग को टॉप-लेवल डोमेन (TLD) कहा जाता है। उदाहरण के लिए हमारी वैबसाइट हिन्दी में है जिसका नाम onlinepaisakaisekamaye.com है। इसमें .com भाग को Top-Level Domain (TLD) कहा जाएगा।
Top-Level Domains को domain name extensions भी कहा जाता है। ये आपके प्राइमरी डोमेन नेम के बाद आते हैं।
इंटरनेट पर रजिस्टर होने वाले डोमेन नेम में Top-level domains सबसे टॉप माने जाते हैं। कुछ वर्ष पहले ICANN ने नए तरह के TLD registration को मंजूरी दी जिसके बाद हजारों नए डोमेन Extensions अब लोगों के लिए उपलब्ध हो गए हैं।
नोट-किसी भी Top-level domain की अधिकतम लंबाई 63 characters तक होती है। हालांकि ज़्यादातर TLDs दो या तीन Characters के ही होते हैं।
Top-level domains को लोगों तक पहुँचाने का काम Domain Registries करती हैं जो The Internet Corporation for Assigned Names and Numbers (ICANN) के नियंत्रण में काम करती हैं। ICANN द्वारा मान्यता प्राप्त कुछ Top-level domains ये हैं:
2. Generic top-level domains (gTLDs)
Generic top-level domains (gTLDs) सबसे ज्यादा प्रचलित और Common Type के Domain Names होते हैं जो .com, .net, .org और .edu. जैसे extensions के होते हैं।
.com इसे दुनिया का सबसे पहला टॉप लैवल डोमेन माना जाता है। .com कमर्शियल के लिए डोमेन extension है जिसे व्यावसायिक या वाणिज्यिक संगठनों द्वारा उपयोग के लिए बनाया गया था।
इस डोमेन नेम की प्रसिद्धि 1990 के दशक के बीच तक बहुत बढ़ गई थी। .com बिज़नस, वेबसाइटों और ईमेल के लिए सबसे लोकप्रिय और सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला टॉप लैवल डोमेन बन गया था।
.org डोमेन extension शुरू में non-profit organization या गैर लाभकारी संगठनों के लिए बनाया गया था। आजकल इसका इस्तेमाल गैर-लाभकारी संस्थाओं, व्यवसायों, स्कूलों और समुदायों द्वारा किया जाता है।
.gov डोमेन एक टॉप लैवल डोमेन है जिसका इस्तेमाल सरकार या सरकारी एजेन्सीस के लिए सीमित था। अभी भी इसका इस्तेमाल सिर्फ सरकारी एजेंसियों, कार्यक्रमों, राज्य सरकारों या सरकार से जुड़ी संस्थाओं के लिए ही किया जाता है।
.edu इस domain name extension का इस्तेमाल शिक्षा से जुड़ी संस्थाओं जैसे कि स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय के इस्तेमाल के लिए बना था।
.net डोमेन नेम extension का इस्तेमाल नेटवर्क organizations के द्वारा किया जाता है। इसे उन कंपनियों या संस्थानों के लिए बनाया गया था जो नेटवर्क टेक्नालजी में अपनी सेवाएँ देती हैं। .net डोमेन नेम भी .com की तरह ही बहुत लोकप्रिय टॉप लेवेल डोमेन नेम है।
.mill ये डोमेन नेम सेना या मिलिटरी के द्वारा इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था।
कुछ नए top level domains ये हैं:
- .online
- .business
- .guru
- .biz
- .fashion
- .website
- .info
- .club
- .jobs
3. Country Code Top Level Domains
ccTLD या Country Code Top Level Domains से पता चलता है कि डोमेन किस देश में रजिस्टर हुआ है और किस देश को टार्गेट करता है।
वैसे तो प्रत्येक देश का अपना ccTLD होता है, लेकिन आपको कोई ccTLD रजिस्टर करने के लिए जरूरी नहीं है कि आप उस देह में ही रहते हों। लेकिन कुछ ccTLD आवश्यक रूप से डिमांड करते हैं कि रजिस्टर करने वाला व्यक्ति उसी देह में हो जिस देश का ccTLD डोमेन वो रजिस्टर कर रहा है।
इसमें किसी देश के अंतरराष्ट्रीय कोड के आधार पर सिर्फ दो अक्षर होते हैं।
Popular Country Code Top Level Domains
- .US United States के लिए
- .CA for Canada
- .UK for the United Kingdom
- .IN for India
- .AU for Australia
- .JP जापान के लिए
- .EU European Union के लिए (EU कोई देश नहीं है)
- .FR फ़्रांस देश के लिए
वैसे ये जरूरी नहीं है कि आप किसी देश से संबन्धित ccTLD ही रजिस्टर करें। आप कोई भी Generic TLD रजिस्टर कर सकते हैं।
4. Second-Level Domains
Second Level Domains (SLD) डोमेन नाम के Hierarchy में TLD से नीचे आते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनका महत्व कम है। SLD डोमेन वह भाग होता है जो डोमेन नेम में अंतिम बिंदु के बाईं ओर आता है।
उदाहरण के लिए www.hostinger.com में hostinger Second Level Domain है और .com टॉप लेवेल डोमेन हैं। SLD का इस्तेमाल एक अलग या खास तरह की सेवा के लिए भी किया जाता है जैसे कि .ac.in का इस्तेमाल भारत में शैक्षणिक संस्थान करते हैं।
5. Third-level domains
डोमेन के DNS Hierarchy में थर्ड लेवेल डोमेन स्वाभाविक रूप से Second Level Domains के बाद आते हैं। ये ज़्यादातर SLD के बाईं ओर होते हैं और इन्हे Subdomain भी कहा जाता है। सब डोमैन के बारे में ज्यादा जानकारी इस आर्टिक्ल में आगे दी गई है।
इंटरनेट पर बहुत तरह की top-level domains उपलब्ध हैं, लेकिन .com सबसे लोकप्रिय एक्सटेंशन है, जो 52% से अधिक वेबसाइटों के द्वारा उपयोग किया जाता है।
कई generic TLDs (जैसे कि .com, .org, .net) को रजिस्टर करने के लिए किसी विशेष Terms या मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन कुछ top level domains को रजिस्टर करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है।
उदाहरण के लिए .gov वाले TLD को केवल सरकारी विभागों द्वारा उपयोग करने की अनुमति है।
अगर आप ज्यादा लोकप्रिय डोमेन नेम एक्सटेंशन का उपयोग करते हैं तो स्वाभाविक है कि आपको अधिक ऑर्गेनिक ट्रैफ़िक मिलेगा।
डोमेन नाम कैसे चुने? How to Choose the Right Type of Domain Name
सही और प्रभावशाली डोमेन नाम का चयन करना वेबसाइट बनाने में सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक होता है।
अगर डोमेन नेम प्रभावशाली और अच्छा हो तो आपके ब्रांडिंग और Visibility पर बहुत अच्छा असर पड़ता है। इसलिए डोमेन नेम रजिस्टर करते समय या चुनते समय इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
- वेबसाइट के अनुसार डोमेन नेम चुनें-आपको अपनी साइट के लिए ऐसा डोमेन नाम चुनना चाहिए जो आपकी साइट पर होने वाले क्रिया-कलापों से मेल खाये। अगर आप Celebrity Blogger हैं तो आप राजनीति से जुड़ा हुआ डोमेन नाम नहीं खरीदना चाहेंगे।
आप चाहें तो Keywords से मिलते-जुलते शब्दों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- लोकेशन का खयाल रखें-अगर आप भारत में कोई डोमेन नेम रजिस्टर करते हैं और आपकी वैबसाइट अधिकतर भारत के लोगों को ध्यान में रखकर बनाई गई है तो .IN डोमेन का इस्तेमाल ठीक होगा ना कि .co.uk का।
- डोमेन नेम छोटा और सरल रखें-छोटा और आसान डोमेन नेम उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ये आसानी से याद हो जाता है। एक बड़े वाक्यांश की तुलना में एक या दो शब्दों को याद रखना आसान होता है।
- दूसरों के डोमेन की नकल ना करें– यह जरूरी है कि आपके द्वारा चुना गया डोमेन नाम किसी भी ट्रेडमार्क का उल्लंघन ना करे। रजिस्टर करने से पहले यह देख लें कि क्या कोई बिज़नस या वेबसाइट उस नाम को Trademark तो नहीं कर चुका है।
- Related Extensions का ही इस्तेमाल करें-जब आप डोमेन रजिस्टर करें तो ध्यान रखना चाहिए कि .com, .in, .edu, .org, .online, .buy, .net जैसे extensions का इस्तेमाल अपने व्यवसाय के अनुसार ही करें। ये आपके साइट को सूट करना चाहिए।
ICANN क्या है और Domain Name System (DNS) क्या है?
इंटरनेट पर डोमेन को खरीदने और बेचने का काम तो होता है लेकिन डोमेन को Manage करने के पीछे एक संस्था काम करती है।
डोमेन नेम को Manage या देख-रेख करने वाली संस्था का नाम है ICANN (Internet Corporation for Assigned Names and Numbers)।
मोबाइल फ़ोन नंबरों की तरह ही, डोमेन नाम भी एक तरह के “address book” में व्यवस्थित या Save रहते हैं। इसे Domain Name System (DNS) कहा जाता है जिसमें पूरी दुनिया में सर्वरों के नेटवर्क शामिल हैं।
Subdomain क्या है? What is Subdomain?
सबडोमेन किसी भी डोमेन का भाग होता है जो डोमेन से पहले जोड़ा जाता है। Subdomain डोमेन का हिस्सा होता है।
उदाहरण के लिए mail.google.com और docs.google.com गूगल डोमेन के सबडोमैन है। गूगल की परिभाषा के अनुसार सबडोमेन एक बड़े डोमेन का अंग होता है।
सबडोमेन top-level domain के अंदर बनाए जाते हैं ताकि आपकी साइट के अलग-अलग SECTIONS या web pages को आसानी से याद रखा जा सके।
आपकी वेबसाइट के अलग-अलग Sections को व्यवस्थित और आसानी से नेविगेट करने में सहायता के लिए सबडोमेन मदद करते हैं। आप एक डोमेन में Multiple Subdomains बना सकते हैं।


ऊपर दी गई Image Facebook के Investor सबडोमेन का स्क्रीनशॉट है। यहाँ याद रखें कि investor.fb.com यह पूरा सबडोमेन है ना कि सिर्फ investor वाला हिस्सा।
कई कंपनियाँ अपनी मोबाइल वैबसाइट के लिए भी सबडोमेन का इस्तेमाल करती हैं जैसे m.yoursite.com एक मोबाइल साइट का सबडोमेन है।
किसी वेबसाइट का testing या staging version बनाने के लिए भी सबडोमेन का उपयोग किया जाता है। किसी वैबसाइट पर नए plugins और updates पब्लिश करने से पहले Developers उस साइट के सबडोमेन पर उन्हे Test कर लेते हैं।
किसी साइट के डोमेन के लिए सबडोमेन बनाना बहुत आसान है। इसके लिए आप अपने डोमेन रजिस्ट्रार या अपने वर्डप्रेस होस्टिंग अकाउंट में जाकर आसानी से एक Subdomain बना सकते हैं।
Domain कहाँ से खरीदें
वैबसाइट बनाने के लिए सबसे पहले एक domain name खरीदना पड़ता है। ये डोमेन नेम आप इंटरनेट पर मौजूद Domain Name Registrars से खरीद सकते हैं।
आप चाहे तो जिस कंपनी से डोमेन नेम खरीद रहे हैं उससे ही अपनी वैबसाइट की Hosting भी खरीद सकते हैं। डोमेन नेम बेचने वाली अधिकतर कंपनियाँ ये सुविधा देती हैं।
कुछ Popular Domain Registrars ये हैं:;
Google Domains
जैसा कि नाम से ही पता चलता है Google domains गूगल की डोमेन रजिस्टर करने वाली सेवा है। चूंकि इसके पीछे गूगल है इसलिए ये बहुत भरोसेमंद और विश्वसनीय है।
गूगल Domains में आपको 300 से ज्यादा domain endings चुनने का विकल्प मिलता है। Google Domains की सबसे बड़ी खासियत 24/7 Google support है जो सीधे experts से मिलता है।
Hostinger
Hostinger एक डोमेन रजिस्ट्रार और वेब होस्टिंग कंपनी है। यह दुनिया भर में अपने डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन और होस्टिंग के लिए मशहूर है।
हमारा यह ब्लॉग भी इसी सर्वर पर है। डोमन और होस्टिंग मैंने यही से खरीदे है इनका backend speed और website loading speed बाकि सब होस्टिंग कंपनी से अच्छा है।
अगर आप Hostinger पर ब्लॉग बनाना चाहते है तो ये Coupon code use करे “GRAB” आपको और भी कम रेट में मिल जायेगा और आपको सिर्फ होस्टिंग का ही pay करना पड़ेगा Domain और SSL certificate आपको free में मिलता है।


भारत में भी इसकी लोकप्रियता बहुत बढ़ती जा रही है। Hostinger के डोमेन रजिस्ट्रेशन charges बहुत कम और Competitive हैं जिसके कारण इससे बहुत ज्यादा लोग अपने Domain रजिस्टर करते हैं।
फिलहाल Hostinger के पास 20+ million customers हैं और ये 84+ million domain names को Manage करता है।
BIGROCK
BigRock 10 वर्षों से ज्यादा समय से डोमेन रजिस्ट्रेशन की सर्विस दे रहा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि ये आपकी ऑनलाइन Presence बनाने के लिए complete suite of products देता है।
अगर आप BigRock इस्तेमाल करते हैं तो आपको डोमेन रजिस्ट्रेशन, होस्टिंग, या Domain Transfer जैसे कामों के लिए किसी दूसरे के पास नहीं जाना पड़ता।
Bigrock 60 लाख से ज्यादा Domain Names को Manage कर रहा है।
कुछ अन्य Popular Domain Registrars ये हैं:
- Namecheap
- WordPress
- Domain.com
- Hostinger
- Bluehost
- HostGator
- Network Solutions
- Dreamhost
- Hover
- BuyDomains
तकनीकी रूप से कहें तो वेबसाइट का Domain Name आप कभी खरीद नहीं सकते। बल्कि आप उसे कुछ समय के लिए इस्तेमाल करने की फीस या शुल्क देते हैं। जैसे ही आप ये Charge देना बंद कर देंगे, आपका domain name किसी और के उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
डोमेन नेम खरीदते समय आप जो पैसा Registrar को देते हैं वो वास्तव में एक या ज्यादा वर्षों के लिए उस डोमेन को इस्तेमाल करने का पैसा होता है।
डोमेन नेम, होस्टिंग और वेबसाइट में क्या अंतर है?
वेबसाइट शुरू करने या नया ब्लॉग बनाने के शुरुआती दिनों में अक्सर लोग डोमेन नेम, वेब होस्टिंग और वेबसाइट में अंतर नहीं कर पाते हैं। ये तीनों terms एकदम अलग हैं।
आइए जानते हैं कि Domain, Hosting और Website में क्या अंतर है।
एक डोमेन नाम किसी वेबसाइट का पता होता है जिसे Users ब्राउज़र में टाइप कर के वैबसाइट Access करते हैं। दूसरी तरफ, एक वेबसाइट एक डोमेन नेम के तहत सभी फ़ाइलों से बने वेब पेजों का Collection है।
वेब होस्टिंग वह जगह है जहां आपकी वेबसाइट की सभी फाइलें Stored रहती हैं। इसके लिए हमें annual fees देनी पड़ती है जिसे Hosting Plan कहा जाता है। डोमेन नेम खरीदने के बाद हमें वेबसाइट की होस्टिंग का प्लान लेना पड़ता है।
डोमेन नेम, होस्टिंग और वैबसाइट के बीच के अंतर को समझने के लिए एक उदाहरण दिया जाता है। मान लीजिये कि आपके घर का पता अगर डोमेन नेम है तो आपके घर को वैबसाइट कहा जाएगा।
इंटरनेट पर मौजूद सभी वेबसाइटों को वेब होस्टिंग की आवश्यकता है। बिना वेब होस्टिंग के कोई भी वेबसाइट लोगों तक नहीं पहुँच सकती।
Domain Name और URL में क्या अंतर है?
दोस्तों किसी भी वैबसाइट को खोलने या सर्च करने के लिए हमें Domain Name और URL (Uniform Resource Locator) की जरूरत पड़ती है। लेकिन अधिकतर लोग दोनों में कन्फ्युज हो जाते हैं।
इंटरनेट और वेबसाइटों का उपयोग करने वाले लोगों के लिए Domain Name और URL बहुत ही सामान्य शब्द हैं जो एक दूसरे के बदले उपयोग किए जाते हैं। लेकिन इन दोनों शब्दों में बहुत अंतर होता है।
इसलिए हमने Domain Name और URL में क्या अंतर है यहाँ बहुत डीटेल में समझाया है। आइए Domain Name और URL में Difference को जानते हैं।
Domain Name और URL में सबसे बड़ा अंतर यह है कि डोमैन नेम URL का हिस्सा होता है। इसका मतलब है कि Domain Name हमेशा URL से छोटा होता है।
URL का मतलब है Uniform Resource Locator जो एक Identifier होता है। URL किसी भी साइट का वेब Address होता है जिसका उपयोग इंटरनेट पर फाइलों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
एक सामान्य वेबसाइट के URL में कम से कम 3 भाग होते हैं। जैसे www.google.com में सिर्फ तीन भाग हैं। लेकिन बड़े और जटिल URL में 8 से 9 भाग भी हो सकते हैं जिसमें scheme, subdomain, domain name, top-level domain, port number, path, query, parameters, और fragment जैसी चीज़ें शामिल होती हैं।
URL एक स्ट्रिंग है जो किसी वेबपेज का पूरा इंटरनेट पता बताता है जबकि डोमेन नाम URL का एक हिस्सा होता है जो किसी वेबसाइट के IP Address का वो रूप होता है जिसे मनुष्य समझ सकते हैं। आप यह जानते ही होंगे कि किसी सर्वर का आईपी एड्रेस अंकों में होता है जिसे याद रखना बहुत मुश्किल होता है।
इसलिए, डोमेन नेम IP Address का टेक्स्ट फॉर्म होता है जिसे आसानी से मनुष्य याद रख सकते हैं। उदाहरण के लिए:
https://onlinepaisakaisekamaye.com/seo/ यह एक URL है जिसमें onlinepaisakaisekamaye.com Domain Name है।
Domain Name और URL में महत्वपूर्ण अंतर ये हैं:
- URL एक संपूर्ण वेब Address होता है जिसका उपयोग इंटरनेट पर किसी वेबपेज का पता लगाने के लिए किया जाता है। जबकि डोमेन नेम कंप्यूटर आईपी एड्रेस (लॉजिकल एड्रेस) का Text में अनुवादित और सरल रूप है होता है।
- URL में हमेशा Domain Name होता है जबकि किसी वैबसाइट का डोमैन नेम URL का हिस्सा होता है जो किसी कंपनी, ब्लॉग या संस्था की पहचान होता है।
- URL किसी भी Domain नेम से ज्यादा जानकारी प्रदान करता है जबकि डोमैन सिर्फ शॉर्ट Version ही होता है।
- domain name IP address का human-friendly Text form होता है लेकिन URL एक स्ट्रिंग है जो किसी भी वेबपेज के संपूर्ण वेब पते की पहचान करती है।
- किसी भी Domain Name में तीन भाग होते हैं Top Level Domain, Intermediate Level, और Low Level Domain जबकि किसी URL में Domain के अलावा method, protocol, hostname, port,और फ़ाइल का path जैसी जनकरियाँ भी शामिल होती है।
आपके वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में पूरा URL प्रदर्शित होता है। इसमें किसी वेबसाइट पर सही पेज का पता लगाने के लिए सभी जरूरी जानकारी शामिल रहती हैं। किसी भी दो वेबसाइटों का एक ही डोमेन नाम नहीं हो सकता है।
Domain Kya Hai Frequently Asked Questions
- डोमैन का हिन्दी अर्थ क्या है?
डोमेन आपकी वैबसाइट का वो पता होता है जिसे किसी वेब ब्राउज़र में टाइप करने से आपकी वेबसाइट खुल जाती है। एक तरह से डोमेन डोमेन आपके ब्लॉग, वेबसाइट या ई-कॉमर्स की पहचान होता है।
- डोमेन नाम कैसे बनाएँ?
डोमेन नाम बनाने के लिए आपको Domain Registrars से डोमेन नेम खरीदना पड़ता है। आप सिर्फ वही डोमेन नेम खरीद या बना सकते हैं जो किसी दूसरे के पास ना हो। डोमेन नेम आपके व्यवसाय, ब्लॉग या कंपनी के अनुसार होना चाहिए।
- भारत का डोमेन नेम एक्सटैन्शन क्या है?
भारत या India का Domain Name Extension .IN है। हर देश का अपना अलग डोमेन नेम एक्सटैन्शन होता है।
- क्या वेबसाइट के डोमेन नेम को बदला जा सकता है?
हाँ। यह संभव है। आप अपनी वेबसाइट को एक अलग डोमेन नाम पर ले जा सकते हैं। आप चाहें तो दोनों डोमेन नामों को एक ही वेबसाइट पर Point कर सकते हैं।
- खरीदने के बाद क्या डोमेन नाम बेचा जा सकता है?
आप अपने पास रजिस्टर किए गए डोमेन नेम को बेच सकते हैं। मार्केट में अच्छे कस्टम डोमेन नामों की बहुत मांग है।
इस आर्टिक्ल में हमने Domain Name से जुड़ी सभी जानकारियाँ बता दी हैं। अब आप चाहें तो अपने से एक डोमेन नेम रजिस्टर कर सकते हैं। डोमेन नेम बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि ये आपकी सर्विस से मेल खाता होना चाहिए। Top-Level Domain जैसे कि .com या .IN चुनने के अपने फायदे हैं।