Technical SEO Kaise Kare? Technical SEO सर्च इंजन Optimization में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर आप किसी भी वैबसाइट की सर्च इंजन रैंकिंग्स में सुधार लाना चाहते हैं तो आपको On-Page SEO और Off-Page SEO के साथ Technical SEO पर भी ध्यान देना होगा। आपने ध्यान दिया होगा कि अच्छा कंटैंट लिखने और बैकलिंक्स बनाने के बाद भी आपके वेबपेज गूगल सर्च रैंकिंग्स में टॉप पर नहीं आ पाते हैं।
इसका कारण SEO के उस भाग पर ध्यान नहीं दिया जाना है जिसे Technical SEO कहा जाता है। इसलिए आपको यह समझना जरूरी है कि Technical SEO kya Hai और इसे कैसे किया जाता है। इस आर्टिक्ल में आप जानेंगें कि Technical SEO क्या है और यहाँ दी हुई तकनीकी एसईओ चेकलिस्ट को जांच कर अपनी वेबसाइट का तकनीकी ऑडिट कर सकेंगे।
Technical SEO क्या है?
तकनीकी एसईओ या Technical SEO वह प्रोसैस है जिसके माध्यम से हम सर्च इंजन रैंकिंग में सुधार के लिए अपने वेब पेज को Google जैसे खोज इंजनों में क्रॉलिंग और इंडेक्सिंग के लिए Optimize करते हैं।
बेहतर टेक्निकल SEO करने से सर्च इंजिन आपकी वैबसाइट को आसानी से खोज सकते हैं और आपके वेब Pages को बिना किसी दिक्कत के समझ सकते हैं।
SEO के इस भाग को “तकनीकी” कहा जाता है क्योंकि इसका वेबसाइट पर पब्लिश होने वाली सामग्री (Content) या वेबसाइट के Looks से कोई लेना-देना नहीं है।
तकनीकी एसईओ में हम यह सुनिश्चित करते है कि हमारी वेबसाइट बेहतर Organic रैंकिंग के साथ आधुनिक सर्च इंजनों की तकनीकी आवश्यकताओं को सही से पूरा करती है।
Technical SEO क्यों जरूरी है?
टेक्निकल SEO करने के बाद वैबसाइट अपने Users के लिए ना सिर्फ तेज़ हो जाती है बल्कि Search Engine Robots को Crawl करने में भी आसानी होती है। टेक्निकल SEO का महत्व इसलिए भी है कि यह सुनिश्चित करता है कि आपकी वैबसाइट के वेबपेज न सिर्फ आदमियों द्वारा, बल्कि सर्च इंजनों द्वारा भी पढ़ने और समझने लायक हों।
अगर आप कोई ब्लॉग चलाते हैं या किसी वैबसाइट से जुड़े हैं तो आपको यह जानना जरूरी है कि किसी साइट की तकनीकी संरचना उसके प्रदर्शन या Performance पर बहुत प्रभाव डालती है।
सबका लक्ष्य हाइ क्वालिटी इंटरनेट ट्रैफ़िक प्राप्त करना होता है। लेकिन यह ट्रैफ़िक Organic सर्च से मिलना चाहिए। तकनीकी एसईओ प्रक्रियाएँ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से सर्च इंजन क्रॉलिंग, इंडेक्सिंग और आखिर में रैंकिंग पर प्रभाव डालती है।
जैसा कि नाम से ही पता चलता है टेक्निकल एसईओ में तकनीकों का इस्तेमाल होता है। इसमें एनालिटिक्स, कीवर्ड रिसर्च, बैकलिंक प्रोफाइल डेवलपमेंट या सोशल मीडिया स्ट्रैटेजी जैसी On-Page या Off-Page SEO की चीज़ें शामिल नहीं होती।
चलिए Step-by-Step देखते है की Technical SEO Kaise Kare
वैसे तो तकनीकी SEO में कई अंग होते हैं लेकिन क्रॉलिंग, इंडेक्सिंग, रेंडरिंग और वेबसाइट आर्किटेक्चर जैसी चीज़ें तकनीकी एसईओ के महत्वपूर्ण तत्वों में शामिल होती हैं।
Technical SEO kaise kare यह जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि तकनीकी, ऑन-पेज और ऑफ-पेज एसईओ के बीच कोई स्पष्ट सीमा नहीं होती है।यह तीनों एक दूसरे के साथ मिले हुए होते हैं। कुछ चीज़ें अलग-सी होती हैं और SEO के इन तीनों Types को ठीक से करने के बाद ही आपकी वैबसाइट सर्च इंजन रैंकिंग्स में टॉप पर आ सकती है।
तकनीकी एसईओ के बारे में ऊपर पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे कि Technical SEO Kya Hai। आइए अब जानते हैं कि Technical SEO Kaise Kareऔर टेक्निकल एसईओ चेक लिस्ट में क्या-क्या होता है जिसके करने के बाद आप सर्च रैंकिंग्स में सुधार ला सकते हैं।
नीचे दिये गए महत्वपूर्ण तकनीकी एसईओ फ़ैक्टर्स और दिशानिर्देशों का पालन करके, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपकी साइट Technical SEO की अपेक्षाओं को पूरा करती है।
1. SSL (HTTPS) का उपयोग करें
Secure Sockets Layer या SSL एक सुरक्षा तकनीक है जो वेब सर्वर और एक ब्राउज़र के बीच एक encrypted और सुरक्षित लिंक बनाती है। गूगल यह स्पष्ट कर चुका है कि जो वैबसाइटें SSL सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करती हैं, उन्हे Google सुरक्षित मानता है और सर्च रिजल्ट्स में वरीयता देता है।
SSL का काम आपकी जानकारी सुरक्षित करने के लिए एन्क्रिप्शन करना हैं। भले ही आपकी साइट में चेकआउट पेज, लॉगिन पेज या कोई वित्तीय या संवेदनशील व्यक्तिगत या व्यावसायिक जानकारी न हो, फिर भी आप अपनी वेबसाइट पर एसएसएल प्रमाणपत्र लगा कर तकनीकी एसईओ को कर सकते हैं।
किसी भी वैबसाइट में यह पता लगाना आसान है कि वह SSL इस्तेमाल करती है कि नहीं। इसके लिए आपको देखना है कि वेबसाइट यूआरएल ‘http://’ के बजाय ‘https://’ से शुरू होता है या नहीं।
इसके अलावा वैबसाइट के URL में एक Lock का Symbol होता है जिसका मतलब है कि आपकी वैबसाइट पर सूचनाएँ Safe और Secure हैं। आपके Custom Domain नाम से पहले HTTPS (Hypertext Transfer Protocol Secure) का होना जरूरी है।


सुरक्षित HTTPS वेबसाइटों को खोज परिणामों में गैर-सुरक्षित वेबसाइटों कि तुलना में सर्च रिज़ल्ट में Preference दिया जाता है।दूसरे शब्दों में कहें तो SSL प्रमाणपत्र (जिन वैबसाइट के URL में https:// होता है) वाली वेबसाइटों को सर्च इंजन रिज़ल्ट पृष्ठों (SERPs) में ज्यादा फायदा मिलता है।
हालांकि अधिकतर वेबहोस्टिंग देने वाले या Website बनाने वाले Platforms SSL सर्टिफिकेट पहले से ही आपकी वैबसाइट में By Default देते हैं। लेकिन अगर आपकी वैबसाइट के URL में HTTPS नहीं है तो जल्द से जल्द इसे हासिल कर लें।
2. Website को Mobile-Friendly बनाएँ
Smartphone के आने के बाद इंटरनेट का ज़्यादातर Traffic मोबाइल पर शिफ्ट होता जा रहा है। ज्याद से ज्यादा लोग अब अपने मोबाइल फोन पर ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। Social media की बात करें तो यह अधिकतर अब मोबाइल के माध्यम से ही इस्तेमाल होता है।
ऐसे में अगर आपकी वैबसाइट मोबाइल फोन पर सही से ना दिखे या Users उसे स्मार्टफोन पर आसानी से Access न कर पाएँ तो Google जैसे सर्च इंजन आपकी वेबपेज की रैंकिंग को कम कर देते हैं।
ऐसे में ‘responsive’ website design की जरूरत होती है। Responsive वैबसाइट डिज़ाइन वह होती है जो आसानी से किसी भी डिवाइस पर आपके वेबपेज को पढ़ने में मदद करे।
Google यह स्पष्ट कर चुका है कि Responsive साइट होना उसके सर्च रैंकिंग एल्गोरिदम द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण रैंकिंग Factor माना जाता है। इसलिए मोबाइल, टैबलेट या डेस्कटॉप उपयोगकर्ताओं के लिए आपकी वैबसाइट का रेस्पोंसिव होना बहुत जरूरी है।
3. Website Loading स्पीड को Fast करें
तेज़ी से लोड होने वाले वेबपेज को सर्च इंजन पसंद करते हैं। इसलिए वैबसाइट लोडिंग स्पीड टेक्निकल एसईओ का एक महत्वपूर्ण factor माना जाता है।
अगर आपकी वैबसाइट को लोड होने में ज्यादा समय लगता है तो Users आपकी वैबसाइट को छोड़ कर चले जाएंगे और आपका Bounce Rate भी बढ़ जाएगा। आपकी वैबसाइट अगर जल्दी से लोड नहीं होगी तो users दूसरी वैबसाइट पर क्लिक कर के जा सकते हैं। बाउंस रेट उन विज़िटर्स का प्रतिशत होता है जो आपकी वेब साइट पर आते तो हैं लेकिन तुरंत या सिर्फ एक पेज देखने के बाद चले जाते हैं।
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपनी साइट की लोडिंग स्पीड को बढ़ा सकते हैं। फास्ट होस्टिंग का प्रयोग करना, अपनी इमेज फ़ाइलें यथासंभव छोटी रखना, मल्टिपल के बदले किसी एक CSS stylesheet का उपयोग करना, और तेज़ DNS (‘डोमेन नेम सिस्टम’) प्रोवाइडर का उपयोग करना जैसे तरीकों से आप अपनी वैबसाइट की Loading Speed को Fast कर सकते हैं।
जितनी तेजी से वेब पेज लोड होते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि आपके पेज को ज्यादा Visitor मिलेंगे और वे ज्यादा देखे जाएंगे। 2 सेकंड या उससे कम का वैबसाइट लोडिंग समय किसी भी वैबसाइट के लिए अच्छा लोडिंग टाइम माना जाता है।
Website Loading Speed को Optimize करने के लिए आप कई तरह के Plugins जैसे कि WP Cache (अगर आप WordPress उपयोग करते हैं) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
4. Canonical Issue को ठीक करें
कैननिकल समस्याएँ वेबसाइटों में डुप्लिकेट कंटैंट के कारण होती हैं। अगर दो या ज्यादा URL पर एक जैसे कंटैंट हैं तो गूगल को यह समझने में दिक्कत होती है कि वो किस URL के कंटैंट को इंडेक्स करे और किसे छोड़ दे।
किसी वेबपेज के URL को बदले जाने पर भी वह पेज गूगल में इंडेक्स हो जाने के कारण सर्च रिजल्ट्स में नजर आता है। जब किसी एक वेबपेज के multiple versions होते हैं तो Google किसी एक पेज को ही Index कर के स्टोर करता है।
यह देखने के लिए कि Google ने कैसे आपके वेबपेज को index किया है Google Search Console में जाकर URL Inspection Tool का इस्तेमाल किया जा सकता है।


Technical SEO Kaise Kare में एक कंटैंट के लिए दो URL होना खराब माना जाता है क्योंकि Google डुप्लीकेट सामग्री को अपनी Index में शामिल नहीं करना चाहता।
HTTP/HTTPS या WWW/non-WWW के कारण होने वाली Canonical issues आसानी से पकड़ में आ जाती हैं।
इंटरनेट पर किसी वेबसाइट की कैननिकल समस्याओं को ठीक करने के दो मुख्य उपाय हैं:
1. 301 redirects लागू करना;
2. अपनी साइट के पेज में canonical tags को शामिल करना
5. Indexing चेक करें
किसी भी वेबपेज की गूगल द्वारा इंडेक्सिंग होना जरूरी है। Indexing नहीं होने पर आपकी वैबसाइट के पेज सर्च रिज़ल्ट में आएंगे ही नहीं।
Proper Indexing होने के लिए आपकी वैबसाइट का गूगल जैसे सर्च इंजन में सेव होना जरूरी होता है। आपकी वैबसाइट के पेज को गूगल ने इंडेक्स किया है या नहीं इसे चेक करने के लिए Google Search Console में जाकर URL Inspection Tool का इस्तेमाल करें।


जिन वेबपेजस को आप पब्लिश कर चुके हैं उनके URL को Google Search Console में टाइप कर के यह देखा जा सकता है कि वे Indexed हुए हैं या नहीं। अगर गूगल ने अभी तक आपके वेबपेज को Index नहीं किया है तो आप Request Indexing का ऑप्शन क्लिक कर सकते हैं।
6. XML Sitemap बनाये और Update करें
XML साइटमैप आपकी वेबसाइट के URL की एक लिस्ट या सूची होती है। टेक्निकल SEO का यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग होता है। Sitemap सर्च इंजन को यह बताने के लिए एक रोडमैप की तरह कार्य करता है कि वैबसाइट में कौन सा Content उपलब्ध है और उस कंटैंट तक कैसे पहुंचा जाए।
साइटमैप आपकी वेबसाइट का एक Blueprint होता है जो Search इंजनों को आपकी वेबसाइट के Content को खोजने, क्रॉल करने और Index करने में मदद करता है।
दूसरे शब्दों में “यदि आपकी साइट के Pages ठीक से जुड़े हुए हैं या Link हैं, तो Google के वेब क्रॉलर आसानी से आपकी अधिकांश साइट और उसके Pages की खोज कर सकते हैं।”
XML Sitemap गूगल के Crawlers को तेजी से indexation में मदद करता है। XML साइटमैप बनाना उन वेबसाइटों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो:
- जिनमें हजारों Webpages हों
- जहां बार-बार नए वेब पेज जोड़ें जाते हों
- जिनमें कमजोर इंटरनल लिंकिंग हो
- अपने वेबपेज के Content को बार-बार बदलते हों
कोई भी Technical SEO की चेक लिस्ट XML साइटमैप के बिना अधूरी होती है। अपनी वैबसाइट पर Sitemap बना है या नहीं चेक करने के लिए अपनी वैबसाइट के डोमैन नेम के आगे स्लैश (/) लगाकर sitemap.xml लिखे और फिर सर्च करें।
जिन वैबसाइट में साइटमैप बना होगा वो अपने आप ही आ जाएगा लेकिन अगर Sitemap नहीं है तो आपको अपनी वैबसाइट के लिए Sitemap बनाना होगा। Sitemap बनाने के बाद Google Search Console में जाकर बाएँ तरह मेनू में Sitemap पर क्लिक करें। इसके बाद आपकी website का डोमैन नाम लिख कर आ जाएगा।
अपनी वैबसाइट के नाम के आगे खाली स्पेस में (Sitemap_index.xml) या (Sitemap.xml) लिखें और सबमिट कर दें। आपकी वैबसाइट का साइटमैप बन जाएगा।
यदि आप WordPress का उपयोग करते हैं, तो आप आसानी से Yoast SEO plugin से अपनी वैबसाइट के लिए साइटमैप बना सकते हैं। Yoast इस्तेमाल करने से आपकी वैबसाइट का Sitemap अपने आप अपडेट होता रहता है। इसके अलावा आप Google XML Sitemap का इस्तेमाल कर के भी साइटमैप बना सकते हैं। कुछ थर्ड पार्टी साइटमैप जेनरेटर टूल का उपयोग भी किया जा सकता है।
7. Website को Search Console में Register करें
अपनी वैबसाइट को गूगल सर्च Console में रजिस्टर करना Technical SEO के सबसे पहले किए जाने वाले कामों में से एक है। गूगल सर्च Console में रजिस्टर करने के बाद गूगल आपकी वैबसाइट के टेक्निकल Errors के बारे में भी जानकारी दे सकता है।
Indexing और Crawling भी proper तरीके से हो सकेगी। इसके अलावा आप चाहे तो अपने सर्च Console अकाउंट में जाकर Indexing के लिए Request कर सकते हैं।
गूगल सर्च कंसोल और बिंग वेबमास्टर टूल्स (Bing Webmaster Tools) गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के फ्री टूल्स हैं जो आपको वैबसाइट इंडेक्सिंग के लिए अपनी वेबसाइट को उनके सर्च इंजन में सबमिट करने की Permission देते हैं।
8. अपनी वैबसाइट में AMP Enable करें
AMP का मतलब है “Accelerated Mobile Pages” यह एक ओपन सोर्स फ्रेमवर्क है जिसे Google, WordPress और Adobe जैसी टेक्नालजी और पब्लिशिंग कंपनियों ने संयुक्त रूप से 2015 में लॉन्च किया था। AMP के माध्यम से तेज़ और आसानी से लोड होने वाली मोबाइल वेबसाइट बनाई जा सकती हैं।
मोबाइल ट्रैफ़िक लगातार बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट Content उपयोग करने के लिए ज्यादा लोग अपने मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में आपकी वैबसाइट को मोबाइल के लिए Optimize करना बहुत जरूरी है।
Google उन वेब पेजों का पता लगा लेता है जो धीरे-धीरे लोड होते हैं या जिनकी बाउंस Rate ज्यादा होती है। ऐसे वेबपेजों को सर्च रिजल्ट्स परिणामों में कम रैंक मिलती है। AMP Enable करने के बाद किसी ब्लॉग पोस्ट या लैंडिंग पृष्ठ का AMP संस्करण मोबाइल पर तुरंत लोड हो जाता है।
अगर आप WordPress इस्तेमाल करते हैं तो WordPress या Google से official AMP plugin इस्तेमाल किया जा सकता है।
9. Robots.txt File Submit करें
Robots.txt फ़ाइल सर्च इंजन को बताते हैं कि वे आपकी साइट पर कहां जाएँ और कहां नहीं जाए। दूसरे शब्दों में Robots.txt फ़ाइल से हम गूगल और बिंग जैसे सर्च इंजन को यह निर्देश देते हैं कि किन वेबपेज को इंडेक्स और Crawl करना है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए कि कोई e-commerce वैबसाइट है जिसपर रोजाना हजारों ऑनलाइन orders होते हैं। लेकिन आप नहीं चाहेंगे कि सर्च इंजन उन Orders को Crawl करें और Index करें। और ना ही उन्हे Index करने कि कोई जरूरत ही होती है। इसलिए उन्हे इंडेक्स करने से रोकने के लिए Robots.txt फ़ाइल का उपयोग किया जाता है।
वैबसाइट के जिन URL को Crawl करना होता है उन्हे Allow किया जाता है और जिन्हे allow नहीं करना होता उन्हे Disallow या Do Not Allow किया जाता है।
10. Broken Link को ठीक करें
ब्रोकेन लिंक ना सिर्फ उपयोगकर्ता अनुभव के लिए खराब हैं, बल्कि आपकी साइट के SEO के लिए भी ठीक नहीं हैं।
कभी-कभी आपकी वैबसाइट में कोई Page या लिंक डिलीट हो चुका होता है लेकिन Google के इंडेक्स में अभी भी वो मौजूद होता है। विज़िटर आपकी साइट के लिंक को फॉलो करते हैं या दूसरी लिंक को फॉलो करके आपकी वेबपेज पर आते हैं तो उन्हे जानकारी चाहिए होती है।
लेकिन वैबसाइट पर अगर वो जानकारी उन्हे नहीं मिली तो वे चले जाते हैं। इसे SEO में अच्छा नहीं माना जाता। टूटे हुए लिंक को विशेषकर हाइ अथॉरिटी वाले Pages के लिंक को ठीक करना जारी रखें, क्योंकि हम नहीं जानते कि Google किन लिंक्स को गिनता है और किन को नहीं गिनता।
11. W3C CSS Validation
World Wide Web Consortium या W3C HTML और XHTML documents को formatted markup के अनुसार सही से चेक करने के लिए किया जाता है।
अपनी वैबसाइट के Markup को Validate करने से आपके webpages की हाइ टेक्निकल क्वालिटी निर्धारित की जा सकती है। W3C validation प्रक्रिया से हम यह पता लगाते हैं कि हमारी वैबसाइट के Codes सही formatting standards का पालन कर रहे हैं कि नहीं।


Invalid HTML Codes ना सिर्फ आपकी वैबसाइट के crawl rate और indexing को प्रभावित करते हैं बल्कि वे Browser Compatibility को भी निम्न स्तर का बना देते हैं।
12. Check if Your Website is Crawlable
सबसे Common technical SEO issues की बात करें तो वह यह है कि सर्च engine Spiders किसी वैबसाइट को Crawl कर पाते हैं कि नहीं।
क्रॉलेबिलिटी Issue किसी भी तकनीकी एसईओ पर किए गए बाकी काम को खत्म कर सकता है। Google bot को आपके वेब पेजों को Organic सर्च रिजल्ट्स में रैंक करने के लिए आपकी साइट को ठीक से क्रॉल और इंडेक्स करने की जरूरत होती है। अगर ठीक से Crawl और इंडेक्स नहीं होगा तो आपके पेज सर्च रिजल्ट्स में रैंक ही नहीं कर पाएंगे।
अपनी वैबसाइट के पेज की Crawlable रिपोर्ट चेक करने के लिए गूगल सर्च Console में आसानी से देखा जा सकता है। गूगल सर्च Console में URL Inspection Tool की मदद से हम पता लगा सकते हैं कि हमारे कौन से पेज इंडेक्स हुए हैं और कौन से नहीं।
13. Duplicate Content
डुप्लिकेट कंटैंट का मतलब वह Content है जो इंटरनेट पर एक से ज्यादा जगहों पर मौजूद हो। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी वेबपेज पर मौजूद कंटैंट अगर उसी वैबसाइट के दूसरे पेज पर या दूसरी वैबसाइट पर उपलब्ध हो तो उसे Duplicate Content कहा जाता है।
किसी वेबसाइट पर ज्यादा डुप्लिकेट Content होने से Google सर्च रैंकिंग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
Technical SEO की बात करें तो Duplicate Content से इस पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि जब इंटरनेट पर एक से अधिक स्थानों पर एक जैसा कंटैंट होगा तो सर्च इंजन के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि किसी सर्च Query के लिए कौन सा Content ज्यादा Relevant है।
यदि आपकी वेबसाइट में काफी हद तक एक जैसे Content वाले अनेक पेज हैं, तो आप Google यह बता सकते हैं कि किस URL को महत्व देना है और किस Content को छोड़ देना है। सर्च रिजल्ट्स और तकनीकी SEO में इसे “Canonicalization” कहा जाता है।
अगर आपकी साइट के “www.site.com” and “site.com” ये दो version हैं जिनपर एक जैसा कंटैंट है तो आपकी वैबसाइट पर duplicate कंटैंट बन चुका है। ठीक इसी प्रकार अगर http:// और https:// ये दो अलग-अलग Version आपकी साइट के हैं और दोनों Versions पर अपने एक जैसा कंटैंट दिया हुआ है तो इसे जल्द से जल्द ठीक कर लेना चाहिए।
Google Search Console में जाकर अपने Indexed Pages को चेक किया जा सकता है। डुप्लिकेट कंटैंट को ठीक करने के लिए गूगल ने कुछ उपाय बताए हैं जो इस प्रकार हैं:
1. 301 redirects का इस्तेमाल करें: अपनी .htaccess file में 301 Redirects का इस्तेमाल कर के Users Googlebot, और दूसरे spiders को सही जगह redirect करें। इससे duplicate content पर आने वाले Visitors को Original Content पर भेजा जा सकता है।
2. अपनी Internal Linking को ठीक करें
3. Top-level domains का इस्तेमाल करें
14. 404 (Page Not Found) Error Optimization
कभी आप किसी वेबपेज पर गए हो और वहाँ आपको Content के बदले 404 Error दिखा होगा। 404 Standard Error Code होता है जो तब दिखाता है जब कोई User किसी ऐसे वेबपेज पर जाने की कोशिश करता है जो टूटे हुए लिंक या किसी दूसरी गड़बड़ी के कारण वैबसाइट में मौजूद नहीं होता।


आपका सर्वर आपको यह संदेश देता है कि जिस Content को आप देखना चाहते हैं वह उपलब्ध नहीं है।
Technical SEO में इसे बहुत बड़ा Fault माना जाता है। कल्पना कीजिये कि User आपकी वैबसाइट पर आयें और उन्हे कंटैंट के बदले खाली पेज में 404 लिखा मिले।
नए Users को इम्प्रेस करने के लिए आपकी वैबसाइट के पास सिर्फ 15 सेकंड होते हैं। उसके बाद Users आपकी वैबसाइट को छोड़ कर दूसरी वैबसाइट पर क्लिक कर लेते हैं।
404 Pages या Error को Optimize करने का सबसे अच्छा उपाय है कि Users और सर्च इंजन को वहाँ तक जाने ही ना दिया जाए। इसके लिए Google Search Console का इस्तेमाल किया जा सकता है। Googlebot crawlers जब भी आपकी वैबसाइट पर “Not Found” (404 and 503 HTTP error codes) का पता लगते हैं तो Google Search Console इसकी सूचना आपको देता है।
लेकिन इसके लिए पहाए आपको अपनी वैबसाइट को एक “Property” के रूप में Google Search Console में रजिस्टर करना होता है।
404 Error को ठीक करने का सबसे आसान तरीका है कि सभी individual 404 error pages का पता लगाया जाए और उन्हे सही या Similar वेबपेज पर Redirect कर दिया जाए। एक दूसरा उपाय यह है कि 404 pages पर land करने वाले सभी Visitors को अपनी वैबसाइट के Home page पर Redirect कर दिया जाए।
15. JavaScript और CSS
JavaScript SEO वैबसाइट में technical SEO का वो अंग है जिसके माध्यम से JavaScript इस्तेमाल करने वाली वैबसाइट को सर्च इंजन के crawling, rendering, और indexing के लिए Optimize किया जाता है। Cascading Style Sheets से वैबसाइट के Look को नियंत्रित किया जाता है। CSS वैबसाइट के स्टाइल को प्रभावित करता है।
इन दोनों को सर्च इंजन के अनुसार Optimize करने से हम अपनी वैबसाइट की Looks और Functionality को ज्यादा User-friendly और सर्च engine फ्रेंडली बना सकते हैं।
16. Breadcrumbs
किसी वैबसाइट के पेज पर ब्रेडक्रंब ट्रेल साइट hierarchy में वेबपेज की स्थिति को दर्शाता है। Breadcrumbs लगभग हर अच्छी वेबसाइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं।
ये एक प्रकार के Navigationa lसहायक होते हैं जो न सिर्फ Users को यह बताते हैं कि वे आपकी वेबसाइट पर कहां हैं, बल्कि वे Google जैसे सर्च इंजन को यह पता लगाने में भी मदद करते हैं कि आपकी साइट का Structure कैसा है।
Breadcrumbs नेविगेशन बार की तरह दिखते हैं और अधिकतर आपकी वैबसाइट के Primary नेविगेशन बार के नीचे मौजूद होते हैं। अधिकतर Hierarchy-based breadcrumbs ऐसे दिखते हैं:


गूगल सर्च रिज़ल्ट में भी Breadcrumbs दिखते हैं। वे user experience को बढ़ाने के साथ-साथ Bounce Rate को भी कम करने में मदद करते हैं। Breadcrumbs को आप चाहें तो Manually अपनी वैबसाइट में जोड़ सकते हैं या अगर WordPress इस्तेमाल करते हैं तो Yoast Plugin की मदद से आप उसे जोड़ सकते हैं।
17. URL structure
URL Structure से हमारा अभिप्राय URL format से होता है।
वैसे तो URL Structure ऑन-पेज एसईओ के अंतर्गत आता है लेकिन जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि ऑन पेज, ऑफ पेज या टेक्निकल SEO में अंतर एकदम स्पष्ट नहीं होता। तकनीकी SEO ऑडिट सूची में आपकी वेबसाइट की URL संरचना को संशोधित या Optimize करना आवश्यक माना जाता है।
URL को निर्धारित करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :
- lowercase characters का ज्यादा इस्तेमाल करें। Uppercase Characters का इस्तेमाल न करे आपने देखा होगा कोई भी वेबसाइट Uppercase letters यूआरएल में use नहीं करती।
- URL में शब्दों को अलग करने के लिए ”- “ का उपयोग करें।
- फालतू के या जो आवश्यक ना हों उन शब्दों का इस्तेमाल URL में नहीं करें। URL हमेशा Keyword के आधार पर लिखा जाना चाहिए।
- URL हमेशा संक्षिप्त होना चाहिए
- अपने URL में Target कीवर्ड का उपयोग करें
18. Website Structure
आपकी साइट की संरचना या Website Structure से पता चलता है कि आपकी वेबसाइट के पेज कैसे व्यवस्थित हैं। एक Flat साइट Structure Google और अन्य खोज इंजनों के लिए आपकी साइट के सभी पेज को क्रॉल करना आसान बनाता है।
यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि टेक्निकल एसईओ के अनुसार आपकी वेबसाइट Pages और posts का एक Random Collection नहीं होनी चाहिए। बल्कि आपकी वैबसाइट content कि Organized Collection होनी चाहिए।
Google किसी वेबपेज का सर्च इंजन रैंकिंग के मूल्यांकन करने के लिए वेबसाइट की समग्र संरचना या Structure को ध्यान में रखता है और यह कुछ ऐसा है जिसे आपको अनदेखा नहीं करना चाहिए।
इसमें Category Pages को optimize करने से लेकर Archive Pages तक में बदलाव करने पड़ते हैं। साइट नेविगेशन और साइट संरचना के Optimizations टेक्निकल एसईओ के लिए बेहद जरूरी हैं।
Category pages को optimize करने के लिए इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी एक Category इतनी बड़ी ना हो जाए कि उसमें बहुत कंटैंट हो जबकि दूसरी Categories में Articles या कंटैंट की संख्या बहुत कम हो। अगर कोई एक कैटेगरी में articles की संख्या ज्यादा हो गई हो तो उस कैटेगरी को दो भागों में बांटा जा सकता है।


बेहतरीन Site Structure का एक फायदा है आपकी साइट को साइटलिंक मिल जाना। साइटलिंक SERPs में एक लिस्टिंग Format होता है जो आपकी साइट के मुख्य पृष्ठ के साथ-साथ नीचे इंडेंट किए गए कई Internal लिंक Show करता है। उदाहरण के लिए flipkart को गूगल पर सर्च करने के बाद ये Sitelink दिखता है:
वैबसाइट Structure को सर्च इंजन के हिसाब से Optimize करने के लिए अपनी वैबसाइट के सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठों को हाइलाइट करें, किसी टॉपिक से संबन्धित सारे Content को एक साथ रखें, और अपनी वैबसाइट के कंटैंट को simple और logical hierarchy में Organized रखें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions):
- Technical SEO Kaise Kare और क्यों महत्वपूर्ण है?
टेक्निकल SEO ठीक से किया जाए तो वैबसाइट को गूगल सर्च रैंकिंग्स में टॉप पर पहुंचाया जा सकता है। Technical SEO के माध्यम से Indexing, Crawl, साइट Structure और मोबाइल friendly जैसे अंगों को आसानी से Optimize किया जा सकता है। इससे User Experience भी बढ़ता है।
- टेक्निकल एसईओ से सर्च ट्रेफिक कैसे बढ़ता है?
टेक्निकल SEO करने के बाद आपकी वैबसाइट और उसके Pages सर्च इंजन को आसानी से समझ आ जाते है और गूगल उन्हे इंडेक्स करके के सर्च रिजल्ट्स में टॉप पर दिखाता है। इससे Users आपकी वैबसाइट पर ज्यादा क्लिक करते हैं और Bounce Rate भी कम हो जाता है। कुल मिलकर ये वैबसाइट Traffic बढ़ा देता है।
- टेक्निकल SEO और On-Page SEO में क्या अंतर है?
On-Page SEO आपके वेबपेज पर किए जाने वाले Optimizations होते हैं जबकि तकनीकी एसईओ में सर्च इंजन रैंकिंग में सुधार के लिए अपने वेब पेज को Google जैसे खोज इंजनों में क्रॉलिंग और इंडेक्सिंग के लिए Optimize करते हैं।
अच्छा कंटैंट लिखना On-Page SEO के अंतर्गत आता है जबकि अपनी वैबसाइट के तकनीकी Errors को ठीक करना और उन्हे Optimize करना Technical SEO का भाग होता है।